हड़प्पा सभ्यता की नगर निर्माण योजना
हड़प्पा सभ्यता की नगर-निर्माण योजना उसकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक मानी जाती है। हड़प्पा, मोहंजोदाड़ो, चंहूदड़ो, कालीबंगा, कोटदीजी, लोथल, सुत्कागेंदोर, सुरकोटदा, बनावली, धौलावीरा और राखीगढ़ी जैसे स्थलों की खुदाइयों से इस सभ्यता की नगर योजना का एक विशिष्ट रूप सामने आता है। कुछ क्षेत्रीय भिन्नताओं को छोड़कर इन नगरों की योजना में कमाल की एकरूपता दिखती है। निश्चित तौर पर ये सभी नगर एक योजनाबद्ध विन्यास के परिणाम हैं। इस योजना के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं:-
आयताकार पैटर्न : सभी नगर आयताकार खंडों के पैटर्न (Rectangular Grid Pattern) पर बने हैं। सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं। बनावली की सड़कें इसका अपवाद हैं, जहाँ सड़कें समकोणिक न होकर समानान्तर हैं।
दो हिस्सों में विभाजित नगर : सभी नगर मुख्य रूप से दो हिस्सों में विभाजित हैं। नगर का पश्चिमी हिस्सा एक ऊँचे टीले पर विकसित है, जबकि पूर्वी भाग अपेक्षाकृत निम्न भूमि पर है। इतिहासकारों का अनुमान है कि उच्च नगर अभिजात्य वर्ग के लोगों का निवास रहा होगा, जबकि निम्न नगर श्रमिक वर्ग का। उच्च नगर (पश्चिमी भाग) को ईंट और पत्थरों की दीवार बनाकर दुर्गीकृत किया गया है।
लोथल और सुरकोटदा में दोनों खंड एक साथ दुर्गीकृत किए गए लगते हैं। यहाँ दोनों भागों के बीच ऊँचाई का अंतर कम होने के कारण विभाजन का पता नहीं लगता। मोहंजोदड़ो में दोनों खंडों के बीच से नदी गुजरती है।
धौलावीरा में नगर तीन हिस्सों में विभाजित है- उच्च, मध्य और निम्न। उच्च और मध्य नगर दुर्गीकृत हैं।
उच्च नगर और निम्न नगर में महत्वपूर्ण अंतर
विशिष्ट लोगों का आवास होने के कारण उच्च नगर की आबादी अपेक्षाकृत कम है, जबकि निम्न नगर का क्षेत्रफल और आबादी उच्च नगर से अधिक है।
उच्च नगर में आंतरिक विभाजन के प्रमाण नहीं हैं, जबकि निम्न नगर में आंतरिक विभाजन के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं। मोहंजोदड़ो का निम्न नगर 12 आयताकार खंडों में विभाजित है, जबकि लोथल में चार आंतरिक खंड देखे जा सकते हैं। इतिहासकारों ने इनकी पहचान आवासीय क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र, स्थायी दूकान क्षेत्र और गोदीवाड़ा क्षेत्र के रूप में की है।
उच्च नगर से प्राप्त वस्तुएँ एवं खंडहर :
मोहंजोदड़ो : वृहत स्नानागार, अन्नागार, सभा भवन, कॉलेज बिल्डिंग
हड़प्पा : आर-37 (कब्रिस्तान)
कालीबंगा : एक कतार में सात अग्निवेदियाँ
धौलावीरा : एक विशाल भवन, जिसकी पहचान पुरातत्ववेत्ताओं ने राजभवन के रूप में की है।
बनावली : तीन अग्निवेदियाँ
निम्न नगर से प्राप्त वस्तुएँ एवं खंडहर :
मोहंजोदड़ो : 12 आयताकार खंड, जिनमें तीन खंड महत्वपूर्ण – DK खंड, HR खंड, Dead Lane खंड
नर्तकी की प्रतिमा, 42 शव
हड़प्पा : विशाल अन्नागार, 16 तांबा गलाने की भट्टियाँ, श्रमिक आवास (बैरक जैसे), वृताकार चबूतरे और मूसल (अन्न कूटने के लिए), कब्रिस्तान-H
लोथल: अग्निवेदियाँ (आवासीय खंड से ), भंडागार या गोदाम (व्यावसायिक खंड से, जहाँ से विभिन्न मुहरों की छाप तथा कुछ बंडल भी मिले हैं।), तांबे का कारख़ाना, मनके का कारख़ाना, बटखरे (स्थायी दुकान क्षेत्र से )
गोदीवाड़ा- एस आर राव ने इसे गोदीवाड़ा माना है, जबकि यू पी शाह और रेशनिक जैसे कुछ इतिहासकार इसे तालाब मानते हैं।